
आज के दिन कोई राजनीतिक चर्चा नहीं… क्योंकि हमारे लिए बहुत खास है क्योंकि एक तरफ भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेई जी की जयंती है तो वहीं देश के यशस्वी प्रधानमंत्री आदरणीय श्री नरेंद्र भाई मोदी जी ने हिंदुस्तान में विकास के आयाम में एक और पहलू को जोड़ते हुए असम के डिब्रूगढ़ में देश के सबसे लंबे बोगीबील पुल का उद्घाटन किया… आपको बता दें कि ब्रह्मपुत्र नदी पर बना पुल असम के तिनसुकिया से अरुणाचल प्रदेश के नाहरलगुन को आपस में जुड़ेगा… इस देश का सबसे लंबा पुल बताया जा रहा है…
सबसे पहले बात श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेई जी की जयंती पर करते हैं… वह एक ऐसे महान कवि महान वक्ता महान लेखक और महान पुरुष थे, जिन्होंने अपने जीवनकाल के दौरान देश को हर उस समय मार्गदर्शन दिया, जब जब देश विपरीत परिस्थितियों से गुजर रहा था… वह करोड़ों युवाओं के प्रेरणा स्रोत बने और भारतीय जनता पार्टी को आज इस मुकाम पर लाकर खड़ा किया… आज उन्हीं के दिए मार्गदर्शन पर हम देश के करोड़ों सच्चे सिपाही लगातार जनहित में प्रयत्नशील हैं… आइए इस महान व्यक्ति के जयंती पर हम सब शपथ लें कि हम देश हित में सदैव तत्पर होंगे… राष्ट्रहित सर्वोपरि रहेगा… बोगीबील पुल के जरिए सेना अरुणाचल प्रदेश में चीन से सटी सीमा पर अपनी मजबूत पकड़ करेगी… यही वजह है कि चीन की चुनौतियों और सेना की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए इस फुल को काफी अहमियत से तैयार किया गया है…
आज महामना मदन मोहन मालवीय जी की भी जयंती है…. वह काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रणेता तो थे ही इस युग के आदर्श पुरुष भी थे। वे भारत के पहले और अन्तिम व्यक्ति थे जिन्हें महामना की सम्मानजनक उपाधि से विभूषित किया गया। पत्रकारिता, वकालत, समाज सुधार, मातृ भाषा तथा भारतमाता की सेवा में अपना जीवन अर्पण करने वाले इस महामानव ने जिस विश्वविद्यालय की स्थापना की उसमें उनकी परिकल्पना ऐसे विद्यार्थियों को शिक्षित करके देश सेवा के लिये तैयार करने की थी जो देश का मस्तक गौरव से ऊँचा कर सकें। मालवीयजी सत्य, ब्रह्मचर्य, व्यायाम, देशभक्ति तथा आत्मत्याग में अद्वितीय थे। इन समस्त आचरणों पर वे केवल उपदेश ही नहीं दिया करते थे अपितु स्वयं उनका पालन भी किया करते थे। हम ऐसे महान आत्मा के जीवन से सीख लें… सत्कर्मों पर चलें… यही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि…
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