
मध्य प्रदेश की कमान संभालने के पहले ही दिन सीएम कमलनाथ जी ने मध्य प्रदेश से बिहार उत्तर प्रदेश के युवाओं को बाहर करने का लगभग इंतजाम कर दिया… सोमवार को शपथ लेने के कुछ घंटों के बाद ही कमलनाथ जी ने सूबे के उद्योगों में 70 पर्सेंट रोजगार प्रदेश के युवाओं को देने के नियम पर हस्ताक्षर कर दिए। इसके मुताबिक राज्य के उन उद्योगों को ही इन्सेंटिंव यानी छूट दी जाएंगी, जिनमें 70 फीसदी रोजगार स्थानीय लोगों को दिया जाएगा।
कमलनाथ जी का सीधे शब्दों में ये कहना कि उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों के लोग यहां आते हैं, लेकिन स्थानीय लोगों को जॉब नहीं मिल पाती और मैंने इसके लिए फाइल पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। उनके इस वक्तव्य से मुझे महाराष्ट्र में मनसे प्रमुख राज ठाकरे जी जैसी तानाशाही दिखी… मेरा इस पर दो विचार है सबसे पहला कि बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के युवाओं को अगर मौका मिलता है तो उनकी योग्यता और मेहनतपन को देखकर ही मिलता है… दूसरा की यही तो हमारे देश का एक सांस्कृतिक सामंजस्य है कि हम एक दूसरे के साथ कदम से कदम मिलाकर चलते हैं… एक दूसरे से भेद नहीं करते… मध्यप्रदेश का कोई व्यक्ति अगर बिहार या उत्तर प्रदेश में रहता है तो उसे किसी अलग दृष्टि से नहीं देखते, क्योंकि एक देश में ऐसा यह देश में ऐसा भेद समाज को बांटने जैसी सोच वाली होगी लेकिन कमलनाथ जी ने जिस तरह से मध्य प्रदेश में बिहार और उत्तर प्रदेश की युवाओं की राह को बंद किए उसने साफ बता दिया कि अब राज्यों में भी भेद करने की कांग्रेस की नई साजिश शुरू हो रही है और यह तानाशाही का एक जीवंत उदाहरण है…
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