वैसे तो दीपावली दीपों का त्योहार है। हमारा विश्वास है कि सत्य की सदा जीत होती है, झूठ का नाश होता है। दीवाली यही चरितार्थ करती है- असतो माऽ सद्गमय, तमसो माऽ ज्योतिर्गमय। दीपावली स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है। ‘स्वच्छ भारत’ के नारे के साथ जिस स्वच्छता के उत्सव को हमारे माननीय प्रधानमंत्री ने शुरू किया था, उसकी महत्ता इसी मौके पर समझ में आती है। दिवाली शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के दो शब्दों ‘दीप’ अर्थात ‘दिया’ व ‘आवली’ अर्थात ‘लाइन’ या ‘श्रृंखला’ के मिश्रण से हुई है। दीये (दीपक) को स्कन्द पुराण में सूर्य के हिस्सों का प्रतिनिधित्व करने वाला माना गया है, सूर्य जो जीवन के लिए प्रकाश और ऊर्जा का लौकिक दाता है और जो हिन्दू कैलंडर अनुसार कार्तिक माह में अपनी स्तिथि बदलता है। दीपावली एक दिन का पर्व नहीं अपितु पर्वों का समूह है। अंधकार पर प्रकाश की विजय का यह पर्व समाज में उल्लास, भाई-चारे व प्रेम का संदेश फैलाता है। यह पर्व सामूहिक व व्यक्तिगत दोनों तरह से मनाए जाने वाला ऐसा विशिष्ट पर्व है जो धार्मिक, सांस्कृतिक व सामाजिक विशिष्टता रखता है।
यह दीपावली मेरे समस्त देशवासियों को सुख, शान्ति और समृद्धि प्रदान करे।
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