जीत के साथ कुछ चुनौतियों की आहट को समझिए।

जीत के साथ कुछ चुनौतियों की आहट को समझिए।

आप सभी देशवासियों को केसरिया होली और देश के सबसे बड़े प्रदेश में सत्य की जीत पर बधाई व सहृदय शुभकामनाएं। लेकिन मैं जश्न के खुशनुमा माहौल के बीच ये भी कहना चाहूंगी कि ये अंजाम नहीं है, ये बस आगाज़ है, क्योंकि उत्तर प्रदेश को जहां आज तक उत्तम प्रदेश होना चाहिए था, वहां ये असुरक्षा, भय, भ्रष्टाचार, परिवारवाद, जातिवाद और संप्रदायवाद की जद में जकड़ा हुआ है। करीब 15 वर्षों के लंबे कुशासन के बीच यहां कभी खाकी ने ही जुर्म कर दिया, तो कभी खादी ने। न हमारी बहनें सुरक्षित दिखीं, न युवाओं को रोज़गार मिला। यानि हम विकास के परिदृश्य के पैमाने पर देखें तो 15 वर्ष पीछे चले गए हैं। जाहिर है, चुनौतियां ज्यादा हैं। तो हमें उन चुनौतियों को स्वीकार करने के लिए अब तैयार रहना है, क्योंकि हम विकास के लिए जाने जाते हैं और इसलिए जनादेश मिला है। हमें देश के इस सबसे बड़े प्रदेश की अपनी बहनों-बेटियों को भयमुक्त समाज देना है, हमें इस प्रदेश के लंबे कुशासन के बीच बिगड़ैल हो चुके कुछ पुलिस अफसरों को सुधारना है। हमें भ्रष्टाचार की आदत पाल चुके अधिकारियों की लत को सत्लय में लाना है। लेकिन हमें दूसरों को सुधारने के लिए खुद को भी सुधारना होगा- ढेरों मायने में। हां, हमें देश से लखनऊ में यूपी एटीएस के साथ मुठभेड़ में मारे गए संदिग्ध आतंकी सैफुल्ला के पिता सरताज जैसे पिता से भी प्रेरणा लेने की बात कहनी होगी कि हम भी धर्मनिरपेक्ष हैं कट्टर नहीं हैं, जैसा हमारे विषय में कहा जाता है और देखिए और सीखिए इनसे। निस्संदेह अगर देश में सरताज जैसा पिता हो जाएं तो देश से आतंकवाद का खात्मा तय है। खैर, आज खुशी का दिन है। बस आखिर में कहना चाहूंगी कि आइए, हम आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और आदरणीय अमित शाह जी के सपनों का भारत बनाएं, इन्हीं सपनों के बीच देश के इस सबसे बड़े प्रदेश- उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाएं।
सत्यमेव जयते।

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