भारत के चार कुम्भ पर्वों में उज्जैन का कुम्भ ‘सिंहस्थ कुम्भ महापर्व’ कहलाता है। यह नगरी अपनी विशिष्ट महानता के लिए भी प्रसिद्ध है। प्राचीन ग्रन्थों में कुरुक्षेत्र से गया को दस गुना, प्रयाग को दस गुना और गया को काशी से दस गुना पवित्र बताया गया है, लेकिन कुशस्थली अर्थात उज्जैन को गया से भी दस गुना पवित्र कहा गया है। क्षिप्रा नदी ने उज्जैन के महत्व को और भी बढ़ा दिया है। वैशाख मास की पूर्णिमा को क्षिप्रा स्नान मोक्षदायक बताया गया है। उज्जैन में क्षिप्रा-स्नान का महत्व प्रति बारहवें वर्ष पड़ने वाले सिंहस्थ कुम्भ महापर्व पर्व तो और भी अधिक माना जाता है।
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